रंगीला बाबा का खेल NO FURTHER A MYSTERY

रंगीला बाबा का खेल No Further a Mystery

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नोएल टाटा होंगे टाटा ट्रस्ट के नए चेयरमैन

नादिर शाह घाघ था और घाट-घाट का पानी पिए हुए था उसने मौक़े पर वो चाल चली जिसे नहले पर दहला कहा जाता है.

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इतना ख़ून बहा कि नालियों के ऊपर से बहने लगा. लाहौरी दरवाज़ा, फ़ैज़ बाज़ार, काबुली दरवाज़ा, अजमेरी दरवाज़ा, हौज़ क़ाज़ी और जौहरी बाज़ार के घने इलाक़े लाशों से पट गए.

'दिल टूट गया है, रोना आ रहा है मगर..' श्याम रंगीला का नामांकन खारिज, वाराणसी से भरा था पर्चा, और क्या बोले कॉमेडियन?

 सेवादार बनने के लिए एक औपचारिक आवेदन प्रक्रिया होती है, read more जिसके बाद सिलेक्शन किया जाता है. फिर उन्हें पेमेंट, भोजन और आश्रम में ही रहने की सुविधा मिलती है.

उन्होंने कहा, "देशवासियों को जानकारी के लिए बता दें कि हमारे पास दस प्रस्तावक है लेकिन उनकी जानकारी नामांकन फॉर्म मिलने के बाद ,उसे भरकर जमा करवाते समय ही चुनाव आयोग को दी जाती है, लेकिन यहाँ ये जानकारी हमसे फॉर्म देने से पहले ही माँग रहे है, क्यों?

यही नियम इतिहास और मानवीय समाज पर भी लागू होता है कि जिस चीज़ को जितनी सख़्ती से दबाया जाता है वो उतनी ही ताक़त से उभरकर सामने आती है इसलिए औरंगज़ेब के बाद भी यही कुछ हुआ और मोहम्मद शाह के दौर में वो तमाम कलाएं अपनी पूरी ताक़त के साथ सामने आ गईं जो उससे पहले दब गईं थीं.

समझना मुश्किल हो गया कि नेपथ्य में बजते 'जय राम रमा रमनं समनं' पर खड़े होकर झूम रही भीड़ उन दर्शकों की है, जो सिर्फ एक नृत्य नाटिका देखने आए थे या फिर इस समूची दर्शक दीर्घा को ही इस नृत्यनाटिका में अयोध्या वासी बनने का किरदार दे दिया गया था. ये सब कुछ श्रीराम भारतीय कला केंद्र के यशस्वी कलाकारों की कलासिद्धि और उसकी सार्थकता ही थी कि उन्होंने लगभग तीन घंटे के अपने जादुई प्रदर्शन में भक्ति की शक्ति का वो सुंदर रूप प्रस्तुत किया कि, जब दर्शकों की आंखें एक लंबे समय बाद घुप्प अंधेरे से उजाले में खुलीं तो उन आंखों में 'तमसो मा ज्योतिर्गमय' का सूत्रवाक्य आकार ले रहा था.

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कज़लबाश सिपाहियों ने घर-घर जाकर जो मिला उसे मारना शुरू कर दिया.

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